1950 हार्शे एवं चेज का प्रयोग
इनके प्रयोग से 100% सिद्ध हो गया DNA ही आनुवांशिक पदार्थ है |
इन्होंने अपने प्रयोग के लिए जीवाणुभोजियो को लिया यह एक विषाणु है जो जीवाणुओं पर आक्रमण करते है यह बैक्टीरिया, E.coli के साथ क्रिया करते है | कुछ जीवणुभोजी को रेडियोधर्मी (फास्फोरस) माध्यम में grow करवाया व कुछ को रेडियोधर्मी सल्फ़र माध्यम में प्रवेश करवाया |
जिन जीवाणुभोजियो को रेडियोधर्मी फास्फोरस में प्रवेश करवाया, उन Bactariophase में देखा गया कि उनमे रेडियोधर्मी DNA पाया गया लेकिन रेडियोधर्मी प्रोटीन नही पाया गया क्योकि DNA में फास्फोरस होता है लेकिन प्रोटीन में नही !
इसी प्रकार जिन जीवाणुभोजि को रेडियोधर्मी को सल्फ़र में प्रवेश करवाया उनमे रेडियोधर्मी प्रोटीन पाया गया लेकिन रेडियोधर्मी DNA नही पाया गया क्योकि DNA में सल्फ़र नही होता है लेकिन प्रोटीन में सल्फ़र होता है |
हर्षे एवं चेज का प्रयोग 3 चरण में पूरा हुआ था
- संक्रमण
- अनावरण
- अपकेन्द्र्ण
निष्कर्ष : वह जीवाणुभोजी जसमे रेडियोधर्मी DNA पाया जाता है एवं इसे Bacterial cell पर आक्रमण करवाते है तो वह Bacterial cell भी रेडियो एक्टिव हो जाती है |
यदि Radio active सल्फ़र प्रोटीन कोट वाले जीवाणुभोजी से Bacterial cell को संक्रमित करवाते है तो वह cell non Radio active रहती है |
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