विधुत चुम्बकीय प्रेरण
जब किसी कुंडली तथा चुम्बक के बीच सापेक्ष गति होती है तो कुण्डली के प्रत्येक फेरे से बध्य चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है जिसके कारण कुंडली में एक प्रेरित विधुत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है
यदि कुण्डली एक बन्द परिपथ के रूप में है तो परिपथ में एक धारा बहने लगती है जिसे प्रेरित धारा कहते है तथा यह घटना विधुत चुम्बकीय प्रेरण कहलाती है |
फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण संबधी नियम
फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण से संबधी दो नियम दिए |
फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण संबधी पहला नियम :
यदि किसी कुण्डली के बन्द चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है तो उस कुण्डली में एक प्रेरित विधुत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है यह प्रेरित विधुत वाहक बल, कुण्डली में फ्लक्स परिवर्तन की ऋणात्मक दर के बराबर होता है |
विधुत वाहक बल
यदि कुण्डली में फेरो की संख्या N हो तब :
जहाँ ΔΦ= Φ1-Φ2 होता है
फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण संबधी दूसरा नियम :
किसी परिपथ में उत्पन्न्त प्रेरित विधुत वाहक बल तथा उसके कारण बहने वाली प्रेरित धारा की दिशा सदैव उस कारण का विरोध करती है जिससे वह स्वंम उत्पन्न होती है |
इसे लेन्ज का नियम भी कहते है |
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